ब्रसेल्स. जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के भारत के फैसले का यूरोपियन यूनियन (ईयू) ने समर्थन किया है। ईयू संसद में बुधवार को कश्मीर पर चर्चा हुई। इस दौरान पोलैंड और इटली ने पाकिस्तान का विरोध किया। ईयू की संसद ने कहा कि भारत-पाकिस्तान को कश्मीर मुद्दे का हल द्विपक्षीय तरीके से करना चाहिए। संसद ने पाक को नसीहत देते हुए कहा कि नागरिकों के अधिकार एलओसी के दोनों तरफ सुरक्षित होने चाहिए। चर्चा के दौरान पोलैंड के यूरोपियन कंजर्वेटिव एंड रिफॉर्मिस्ट ग्रुप ने कहा कि भारत दुनिया का सबसे महान लोकतंत्र है। हमें उन आतंकी गतिविधियों को देखना होगा जो जम्मू-कश्मीर में हो रही हैं।
ग्रुप ने कहा- हिंदुस्तान में आतंकी चांद से नहीं आए। वे भारत के ही पड़ोसी देश से आ रहे हैं। हम पूरी तरह भारत का समर्थन करते हैं। इटली की यूरोपियन पीपुल्स पार्टी के नेता फुलवियो मार्तुसिएलो ने कहा कि पाकिस्तान हमेशा परमाणु हथियार इस्तेमाल करने की धमकी देता है। पाक एक ऐसी जगह है, जहां से आतंकी यूरोप पर हमला करने की योजना बनाते हैं। उन्होंने पाक में मानवाधिकार उल्लंघन का मुद्दा भी उठाया।
कश्मीर को भारत का आंतरिक मसला बता चुके हैं कई देश
कश्मीर से विशेष दर्जा हटाए जाने के बाद रूस ने इसे भारत का आंतरिक मसला बताया था। इसके अलावा संयुक्त अरब अमीरात और पड़ोसी बांग्लादेश भी इसे भारत का अंदरूनी मामला कह चुके हैं। हाल ही में जी-7 समिट में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने भी प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात के दौरान भारत का साथ दिया था।
यूएन ने भी मामले को द्विपक्षीय तरीके से सुलझाने को कहा
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) को चिट्ठी लिखकर हस्तक्षेप की मांग की थी। हालांकि, यूएन महासचिव गुटेरेस ने शिमला समझौते का जिक्र करते हुए कहा कि इस मुद्दे पर कोई भी तीसरा पक्ष मध्यस्थता नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के अनुसार, जम्मू-कश्मीर को लेकर कोई भी फैसला शांतिपूर्ण तरीकों से ही किया जाना है।