दुनियाभर की सरकारों के राहत पैकेजों और कई देशों के केंद्रीय बैंकों द्वारा बाजार में नकदी बढ़ाने के लिए किए जा रहे तमाम प्रयासों के बावजूद बाजार में कहीं भी ठहराव नहीं दिख रहा। सुरक्षित निवेश साधन माने जाने वाले सोना और चांदी भी लुढ़कते जा रहे हैं। जबकि, आमतौर पर अनिश्चित माहौल में लोग सोना-चांदी खरीदते हैं और इन धातुओं की कीमत बढ़ती है। निवेशक यह मान रहे हैं कि उनकी नकदी यानी, रुपए-पैसे ही किसी तरह बच जाएं तो यही उनके लिए बड़ी बात होगी। पिछले 10 दिनों में सोना करीब 6,000 रुपए प्रति तोला सस्ता हो चुका है। चांदी 22 दिनों में 15,000 रुपए प्रति किलोग्राम से ज्यादा लुढ़क चुकी है। कच्चे तेल का भाव 30 दिसंबर के मुकाबले 56% तक गिर गया है। रुपया 15 जनवरी से अब तक डॉलर के मुकाबले करीब 5% कमजोर हो चुका है। आमतौर पर जब भी अमेरिका का फेडरल रिजर्व अपनी ब्याज दर में कटौती करता है, तब सोने में उछाल दिखता है। सोमवार को भी फेडरल रिजर्व ने इस महीने दूसरी बार आपात बैठक की और अपनी ब्याज दर को घटाकर लगभग शून्य कर दिया। इसके बावजूद बुलियन में भारी गिरावट देखी जा रही है।
कोरोना का चौतरफा कहर